रूप चतुर्दशी हिंदू पंचांग में कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी (अमावस्या से एक दिन पहले) को मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण दिन है। यह दिवाली के मुख्य दिन से ठीक पहले और नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली के समान ही पड़ता है। "रूप" शब्द का अर्थ है "सुंदरता" या "कांति", और "चतुर्दशी" का अर्थ है "चौदहवाँ दिन"। इस प्रकार, यह मूल रूप से "सुंदरता का चौदहवाँ दिन" है। महत्व और कथाएँ इस दिन के दो प्रमुख महत्व हैं - एक आध्यात्मिक और एक पौराणिक। 1. राजा बलि की कथा (नरक चतुर्दशी से जुड़ी): इस दिन से जुड़ी सबसे प्रचलित कथा भगवान कृष्ण द्वारा राक्षस नरकासुर के वध की है। नरकासुर एक शक्तिशाली और अत्याचारी राक्षस था जिसने 16,000 राजकुमारियों को बंदी बना रखा था। उसकी माँ, भूदेवी, ने उसके कल्याण के लिए प्रार्थना की। कृष्ण (और उनकी पत्नी सत्यभामा) के हाथों मृत्यु होने पर, नरकासुर को अपनी गलतियों का एहसास हुआ। मरने से पहले, उसने विनती की कि उसकी मृत्यु का शोक न मनाकर दीप जलाकर उत्सव मनाया जाए। इसीलिए यह दिन दीये जलाने और उत्सव के साथ चिह्नित है, जो ...